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बिहार राज्य अल्पसंख्यक आयोग का संक्षिप्त इतिहास
राज्य सरकार ने अपनी अधिसूचना संख्या-5742/सी दिनांक 26.4.71 द्वारा धार्मिक एवं भाषाई अल्पसंख्यक आयोग के गठन का आदेश निर्गत किया जिसके अध्यक्ष मुख्यमंत्री तथा सदस्य सचिव लोक शिकायत आयुक्त श्री एस0 आलम को बनाया गया। अधिसूचना के संकल्प में यह कहा गया कि भारतीय संविधान में सभी नागरिकों को चाहे वे किसी र्धम या सम्प्रदाय के हो समान मौलिक अधिकार दिया गया है। अनुच्छेद-15 में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि राज्य के किसी नागरिक के प्रति र्धम, जाति, जन्मस्थान आदि के आधार पर भेदभाव नही बरतेगा।
उसी तरह अनुच्छेद-16 में यह उपबंध है कि कोई नागरिक र्धम,जाति, जन्मस्थान आदि के आधार पर राज्य के अंर्तगत किसी भी नियुक्ति के लिए अयोग्य नही समझे जायेंगे और न इस संबंध में उनके प्रति इस आधार पर कोई भेदभाव बरता जायेगा। अनुच्छेद-25 के अनुसार प्रत्येक धर्म के मानने वाले को धार्मिक उद्देश्य के लिए अपनी संस्था स्थापित करना तथा उसकी व्यवस्था करने का पूर्ण अधिकार है। अनुच्छेद - 30 के अंर्तगत सभी अल्पसंख्यक चाहे वे किसी भी धर्म, भाषा या जाति का हो, अपनी शैक्षणिक संस्था स्थापित करने का पूर्ण अधिकार है। इस अनुच्छेद में यह भी उपबंध है कि ऐसी शैक्षणिक संस्था को सहायता देने में राज्य भी किसी प्रकार का भेदभाव नही बरतेगा।
1. संविधान के उपबंध के अतिरिक्त राष्ट्रीय एकता परिषद में भी समय-समय पर अल्पसंख्यक के अधिकार की रक्षा के लिए बहुत सारे सुझाव दिये है। इन सुझावों पर राज्य सरकार ने यथासंभव कार्रवाई भी की है।
2. संविधान को लागू हुए 21 वर्ष हो गये फिर भी कुछ सम्प्रदायों के बीच वैमनश्य और अविश्वास की भावना अभी नही मिटी है। कुछ लोगों की ऐसी शिकायत और धारणा है कि संविधान के अन्तर्गत दिये गये मौलिक अधिकारों का उपयोग करने का उन्हे पूरा अवसर नही दिया जा रहा है।
3. भाषाजात अल्पसंख्यकों की धारणा और शिकायत है कि उनकी समस्याओं का समुचित सामाधान नही हो पाया है। इस संबंध में भारत सरकार के भाषाजात अल्पसंख्यकों के आयुक्त तथा 1961 में मुख्य मंत्रियों के सम्मेलन की विभिन्न अनुशंसाओं के अनुसार बहुत सारी कार्रवाई की गई है। फिर भी, भाषाजात अल्पसंख्यकों के बीच ऐसी भावना है कि उनके न्यायोचित तथा संवैधानिक अधिकारों की पूरी रक्षा नही की जा रही है।